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Wednesday 28 December 2016

भारत का ब्‍लड प्रेशर हाई, पीएम मोदी मजबूरन कर सकते हैं दूसरी सर्जिकल स्‍ट्राइक


भारत का ब्‍लड प्रेशर हाई, पीएम मोदी मजबूरन कर सकते हैं दूसरी सर्जिकल स्‍ट्राइक
Live Today
काठमांडू। चीन के साथ नेपाल सेना का ज्‍वाइंट मिलिट्री एक्‍सरसाइज का प्रस्‍ताव दिया गया है। इस प्रस्‍ताव ने भारत के माथे पर बल डाल दिया है। एक इंग्लिश अखबार के मुताबिक नेपाली पीएम के इस प्रस्‍ताव से भारत का ब्‍लड प्रेशर थोड़ा बढ़ गया है। नेपाल के इस फैसले ने भारत को असहज कर दिया है। नेपाल के पिछले प्रधानमंत्री केपी ओली के कार्यकाल में भारत के साथ संबंध काफी बिगड़ गए थे।
नेपाल के फैसले से भारत असहज
जब प्रचंड नेपाल के पीएम बने तो भारत को एक नई उम्‍मीद जगी थी। लेकिन अब यह उम्‍मीद हल्‍की होती नजर आ रही है। हांलाकि भारत में नेपाल के राजदूत दीप उपाध्‍याय ने इस ज्‍वाइंट एक्‍सरसाइज को तरजीह नहीं दी है।
उन्‍होंने कहा है कि दोनों देशों के बीच यह मिलिट्री एक्‍सरसाइज काफी छोटे स्‍तर पर है और भारत को इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। वे बोले कि नेपाल ने पूर्व में भी दूसरे देशों के साथ मिलिट्री एक्‍सरसाइज की हैं और हम माओवादियों का सामना करने में सफल हो सके हैं। उन्‍होंने कहा कि नेपाल के भारत के साथ काफी खास रिश्‍ते हैं और ऐसी किसी भी एक्‍सरसाइज से वह बिगड़ नहीं सकते हैं।
उलझ सकते हैं रिश्‍ते
एक्‍सरसाइज का मकसद काउंटर-टेरर ऑपरेशंस में नेपाल की मदद करना है। इंडिया नेपाल के साथ इस तरह की एक्‍सरसाइज पिछले एक दशक से करता आ रहा है। चीन के साथ भी वैसी ही एक्‍सरसाइज पहले से ही बिगड़े संबंधों को और जटिल बना सकती है। इंडिया के संबंध नेपाल और चीन दोनों के साथ और जटिल हो स‍क‍ते हैं। ऐसे में प्रचंड, भारत के साथ रिश्‍तों को सामान्‍य करने के लिए जो भी कोशिशें कर रहे हैं, उसका कोई महत्‍व नहीं होगा।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक और भाारत और नेपाल के बीच रक्षा संबंधों में मिलिट्री एजुकेशनल एक्‍सचेंज, ज्‍वाइंट एक्‍सरसाइज और मिलिट्री स्‍टोर्स और उपकरणों की सप्‍लाई आते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं 32,000 नेपाली गोरखा इस समय इंडियन आर्मी में हैं। नेपाल 1.2 लाख पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों का घर है। इन्‍हें इंडिया की ओर से पेंशन मिलती है।
चीन ने दी भारत को चेतावनी
वहीं चीन के ग्‍लोबल टाइम्‍स की ओर से भी इस एक्‍सरसाइज के बाद वॉर्निंग दी गई है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने सोमवार को लिखा है कि यह न तो वास्‍तविक है और न ही संभव कि अब हिन्‍दुस्‍तान हमेशा नेपाल को अपने आंगन की तरह प्रयोग नहीं कर सकता और न ही इसकी वजह से वह चीन और नेपाल के बीच जारी सहयोग पर दबाव डाल सकता है।
ग्‍लोबल टाइम्‍स के मुताबिक अगर चीन और नेपाल के बीच ज्‍वाइंट मिलिट्री एक्‍सरसाइज होती है तो फिर इससे द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे। सुरक्षा में सहयोग दोनों देशों के बीच आपसी भरोसे को भी बढ़ाएगा। आने वाले समय में नेपाल और चीन एक सामान्‍य और संस्‍थागत सुरक्षा का खाका तैयार करने में सफल हो पाएंगे।
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