नोटबंदी के बाद से कालेधन की तलाश में देशभर में 200 से भी ज्यादा जगहों पर सर्च अभियान चलाया गया और करोड़ों की संख्या में रकम बरामद की जा चुकी है।
तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीक के तौर पर किया गया है।
नोटबंदी के बाद से कालेधन की तलाश में देशभर में 200 से भी ज्यादा जगहों पर सर्च अभियान चलाया गया और करोड़ों की संख्या में रकम बरामद की जा चुकी है। अलग-अलग जगहों से लगातार जब्त की जा रही रकम में बड़ी संख्या में 2000 रुपए के नए नोट भी शामिल हैं, जो अभी बैंकों और एटीएम में भी मुश्किल से ही मिल रहे हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि आयकर विभाग को कालेधन की जानकारी सरकारी “मुखबिरों” से चलती है; ये मुखबिर कई विशेष जगहों पर छिपे होते हैं और बड़े लेन-देन पर नजर रखते हैं। इसका सीधा मतलब है कि बैंक या फिर बाजार में कोई आप पर नजर रखे हुए है, हालांकि आयकर विभाग ने इस संबंध में कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया।
वहीं, 2000 रुपए के नोट का सीरियल नंबर जांचकर्ताओं को यह पता लगाने में मदद करता है कि ये नोट किस बैंक से जारी किए गए हैं। इसके जरिए जांचकर्ता मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल बैंक अधिकारियों तक भी पहुंच जाते हैं। इसके अलावा ज्वैलरी शॉप जैसी जगहों की सीसीटीवी फुटेज भी रेड मारने में काम आती है जहां अक्सर लोग बड़ी खरीदारी करने आते हैं।
गिरफ्तार हुआ RBI अफसर:
बता दें कि मंगलवार (13 दिसंबर) को बेंगलुरु से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के एक अफसर को अरेस्ट किया गया। आरबीआई के दफ्तर में तैनात सीनियर स्पेशल असिस्टेंट के. माइकल की गिरफ्तारी एक करोड़ 51 लाख 24 हजार रुपए के पुराने नोट को नए नोट में बदलने के मामले में की गई। आरबीआई अफसर स्टेट बैंक ऑफ मैसूर के जरिए कालेधन को सफेद करने का गोरखधंधा चल रहा था। इस मामले में अब तक तीन लोग अरेस्ट हुए हैं।
नोटबंधि में आयकर विभागका खेल जाने
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